


दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ पर गुरुवार को अपने देश की बुनाई और परंपरा का उत्सव मनाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने एक्स पोस्ट में कहा कि मेरे लिए साड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं, संस्कृति का संगम है। कभी मधुबनी की साड़ी, जो मिथिला की कला की सौगात है तो कभी इक्कत या मैसूर सिल्क, जो दक्षिण की परंपरा की झलक है, मैं अपने रोजमर्रा के जीवन में भारत की विविधताओं को ओढ़ती हूं।
‘खादी और हैंडलूम सिर्फ वस्त्र नहीं, ये आत्मनिर्भर भारत की पहचान’
मुख्यमंत्री ने कहा कि खादी और हैंडलूम सिर्फ वस्त्र नहीं, ये आत्मनिर्भर भारत की पहचान हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी गर्व’ के आह्वान ने आज इन परंपराओं को फिर से जन-जन से जोड़ा है। उन्होंने दिल्ली की सभी बहन-बेटियों से आग्रह है कि आज एक हैंडलूम परिधान पहनें, उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर कर हथकरघा उद्योग को प्रोत्साहित करें।
पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी गर्व’ के आह्वान ने आज इन परंपराओं को फिर से जन-जन से जोड़ा
उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त 1905 को शुरू हुए स्वदेशी आंदोलन ने स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया। वर्ष 2015 में भारत सरकार ने हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। पहले राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्घाटन 7 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने चेन्नई में किया था।